हरियाणा में महाभारत के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना, जानिए इसके पीछे की कहानी

महाभारत और कुरुक्षेत्र का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। कथाओं के अनुसार, हरियाणा के अंतरगर्त आने वाले कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था। मगर क्‍या आपने कभी सोचा है कि कौरवों और पांडवों के बीच हुआ महाभारत युद्ध गीता की भूमि कुरुक्षेत्र में ही क्‍यों हुआ था।

 

आखिर क्यों कुरुक्षेत्र को थानेश्वर और स्‍थानेश्‍वर नाम से भी जाना जाता रहा है। गीता स्‍थली कुरुक्षेत्र में नामचीन युद्ध होने के बाद भी इसे गोकुल, वृंदावन और मथुरा जितनी प्रसिद्धी तो नहीं मिली, लेकिन महाभारत का जिक्र होते ही कुरुक्षेत्र नाम खुद व् खुद जुवान पर आ ही जाता हैं।

 

कहा जाता हैं कि महाभारत युद्ध रक्तरंजित और भीषण होने वाला इसका आभास भगवन श्री कृष्ण को पहले ही हो गता तभी जब युद्ध के लिए जगह चुनने की जिम्मेदारी भगवन श्री कृष्ण तो दी गयी तो, उन्होंने दूतों को जगह की तलाश करने का आदेश दे दिया था,

मगर कोई भी दूत ऐसी जगह की तलाश करने में असमर्थ था, तभी उनमें से एक दूत जब श्रीकृष्‍ण के पास आया, तो बहुत पीड़ा में था।

 

जब भगवान कृष्ण ने दूत से उसकी उदासी का कारण पूछा, तो उसने कुरुक्षेत्र में घटित एक घटना बताई। उसने बतया कि यहां दो भाइयों के बीच खेत में मेड़ बनाने को लेकर झगड़ा हुआ था। दोनों ने खेत में बंटवारा किया हुआ था।

एक खेत का पानी दूसरे खेत में न पहुंचे इसलिए खेत में मेड़ बनाई गई। एक दिन मेड़ टूटने से दोनों भाइयों के बीच झगड़ा हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया कि बात मारपीट तक पहुंच गई और बड़े भाई ने छोटे भाई की हत्‍या कर उसकी लाश को मेड़ बनाने की जगह पर रख दिया। जिससे सिंचाई का पानी रुक गया।

 

कहा जाता है कि दूत द्वारा सुनाई गई कहानी के बाद यह फैसला लिया गया कि भाई-भाई गुरु- शिष्‍य, और सगे संबंधियों के युद्ध के लिए इससे बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती। यहां की भूमि इतनी ज्‍यादा कठोर थी कि कि चाहकर भी किसी का मन द्रवित नहीं हो सकता था।

हालांकि, श्रीकृष्ण इस बात को लेकर शंका में थे कि कहीं पांडव कौरवों के दबाव में आकर कोई संधि न कर लें। इसलिए महाभारत का युद्ध होना अनिवार्य हो गया था। इसी वजह से श्रीकृष्ण ने बहुत सोच समझकर कुरुक्षेत्र को महाभारत युद्ध के लिए चुना था।

 

कहते हैं कि इस युद्ध में जितने सैनिकों की मौत हुई उनके खून से यहां की मिट्टी आज तक लाल रंग की है। कुरुक्षेत्र की भूमि पर रक्तरंजित युद्ध होने के बाद देवताओं ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि इस भूमि पर अब कौन बसना चाहेगा

 

तो इसे श्राप मुक्‍त बनाने के लिए श्रीकृष्ण ने यज्ञ करने का तरीका बताया और कहा कि यहां आकर जो भी सच्‍चे मन से अपने पूर्वजों का तर्पण करेगा उसे मोक्ष मिलेगा। इस भूमि पर न्‍याय और अन्‍याय के बीच लड़ाई हुई थी। इसलिए इस भूमि को अन्‍याय की समाप्ति के लिए ही हमेशा याद रखा जाएगा।

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