कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री में क्या होता है फर्क? जानें पूरी डिटेल्स

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली तीसरी एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 71 मंत्रियों को मंत्रालय आवंटित किए हैं। मोदी सरकार में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्यमंत्री बनाए गए हैं। इन विभिन्न मंत्री पदों की जिम्मेदारियां और अधिकार अलग-अलग होते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्री पदों के प्रकार और उनकी भूमिकाएं

1. कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister)

  • अधिकार: कैबिनेट मंत्री सबसे अधिक अधिकार संपन्न होते हैं और सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। उन्हें एक से अधिक मंत्रालय सौंपे जा सकते हैं और उनकी समूची जिम्मेदारी उनके पास होती है।
  • भूमिका: कैबिनेट मंत्रियों का मंत्रिमंडल की बैठकों में उपस्थित होना अनिवार्य होता है, जहां सरकार के अहम फैसले लिए जाते हैं। आमतौर पर काफी अनुभवी सांसदों को कैबिनेट मंत्री पद दिए जाते हैं।

2. राज्यमंत्री – स्वतंत्र प्रभार (Minister of State Independent Charge)

  • अधिकार: राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कैबिनेट मंत्री से कुछ कम अधिकार रखते हैं लेकिन फिर भी वे सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। वे अपने विभाग के स्वतंत्र प्रभारी होते हैं और मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी इनकी होती है।
  • भूमिका: ये मंत्री कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं होते, लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनी बात रख सकते हैं।

3. राज्यमंत्री (Minister of State)

  • अधिकार: राज्यमंत्री सबसे कम अधिकार रखते हैं और वे कैबिनेट मंत्री के सहयोगी होते हैं।
  • भूमिका: वे प्रधानमंत्री को नहीं, बल्कि कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। मंत्रालय के आकार के हिसाब से एक कैबिनेट मंत्री के अधीन एक या दो राज्यमंत्री नियुक्त किए जाते हैं। गृह, वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बड़े मंत्रालयों में कई विभाग शामिल होते हैं, जिनमें से अलग-अलग विभागों का जिम्मा राज्यमंत्रियों को सौंपा जाता है।

नई सरकार के प्रमुख मंत्री और उनके मंत्रालय

  • अमित शाह: गृह मंत्री
  • राजनाथ सिंह: रक्षा मंत्री
  • एस जयशंकर: विदेश मंत्री
  • निर्मला सीतारमण: वित्त मंत्री
  • नितिन गडकरी: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री

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