बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाकर अपने सपनों को पूरा करते हैं। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख किसी काम के नहीं होते, हौसलों से उड़ान होती है।
यमुना विहार स्थित राजकीय प्रतिभा विद्यालय से पढ़ाई करने वाली सौम्या मिश्रा ने अपने जुनून से आईएएस बनने का सपना पूरा किया है। तीन बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में 18वीं रैंक हासिल की।
वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एसडीएम हैं। उनकी छोटी बहन सुमेघा मिश्रा ने 253वीं रैंक हासिल की है। वह नौकरी नहीं करती हैं।
सौम्या मिश्रा और सुमेघा मिश्रा भजनपुरा में रहती हैं। उनके पिता राजवेंद्र कुमार मिश्रा यमुना विहार बी ब्लॉक स्थित राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में पीजीटी हिंदी शिक्षक हैं। उनकी दोनों बेटियों का यूपीएससी रिजल्ट एक साथ आया है।
वह अपनी बेटियों की उपलब्धि से खुश हैं। सौम्या मिश्रा और सुमेघा मिश्रा दोनों ने अलग-अलग सालों में यमुना विहार के प्रतिभा विद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की है। दोनों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से आगे की पढ़ाई की है। सौम्या ने ज्योग्राफी ऑनर्स किया है।
साल 2021 में उन्होंने अपने जीवन की पहली नौकरी गोकलपुरी स्थित राजकीय सर्वोदय विद्यालय में पीजीटी टीचर के तौर पर शुरू की। इस दौरान उन्होंने पीसीएस की परीक्षा पास की और स्कूल की नौकरी छोड़कर साल 2022 में मिर्जापुरी की एसडीएम बन गईं।
सौम्या मिश्रा ने बताया कि उन्होंने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वह गणित में कमजोर थीं। उन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाया। उन्होंने नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी और जिस विषय में खुद को कमजोर नहीं मानती थीं, उसी विषय को पढ़ा। इस पर उन्होंने कड़ी मेहनत की और चौथे प्रयास में 18वीं रैंक हासिल की।
उन्होंने कहा कि जीवन में असफलताएं आती रहती हैं, लेकिन इनसे परेशान नहीं होना चाहिए। यह देखना चाहिए कि कैसे बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूल से लेकर यूपीएससी पास करने तक उन्होंने अपने जीवन में कभी कोचिंग नहीं ली। उन्होंने खुद ही पढ़ाई की। उन्होंने अपने पिता, स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों के साथ-साथ दोस्तों से भी पढ़ाई में मदद ली।