हमारे आस पास कई क्षेत्र है, जहां अनेकों प्रकार की फैक्ट्री ( FACTORY ) देखी होगी। इन फैक्ट्री में अलग अलग किस्म के उत्पाद ( PRODUCT ) तैयार होते हुए भी देखना आपके लिए सामान्य बात होगी। मगर आज हम एक ऐसे गांव के बारे में आपको अवगत करवाएंगे जिसने लोगों के बीच कबड्डी फैक्ट्री के नाम अपनी पहचान बनाई हैं।
अधिकांश युवाओं की कबड्डी में दिलचस्पी
यह बात हर कोई जानता है कि हरियाणा ने देश को कई बड़े-बड़े एथलीट दिए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है।
खेलों के प्रति जुनून के चलते ही हरियाणा का कोई गांव बॉक्सिंग ( BOXING ), कोई फुटबॉल (FOOTBALL ), कोई बास्केटबॉल (BASKET BALL ) तो कोई कुस्ती या कबड्डी के लिए जाना जाता है। आपको बता दें कि पानीपत से 20 किलोमीटर दूर बसे गांव बुड़शाम के ज्यादातर युवा कबड्डी में रुचि रखते हैं,
इतना ही नहीं इस गांव से अब तक दो दर्जन के करीब युवा प्रो-कबड्डी लीग में खेल चुके हैं. इतना ही नहीं, इस गांव के बहुत से युवा कबड्डी की वजह से ही सरकारी नौकरी में भी हैं।
अभ्यास करते हैं 250 से ज्यादा खिलाड़ी
बुड़शाम गांव कबड्डी खेल के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। यहां से हर साल 10 से 15 खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिताओं ( COMPETITION ) में खेलते हैं. यहां के जसवीर बिरवाल, जसमेर गुलिया, जसमेर जस्सा और सुरजीत नरवाल एशियन गेम्स में कबड्डी में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
इन्हीं खिलाड़ियों ने जिले में सबसे पहले प्रो कबड्डी लीग भी खेली थी। गांव में 250 से ज्यादा खिलाड़ी कबड्डी का अभ्यास करते हैं।
अपने सीनियर्स को कबड्डी से दिया था मुंह तोड़ जवाब
गौरतलब, कोच रविंद्र कुमार ने बताया कि इस गांव में कबड्डी की शुरुआत सन 1983 में हुई थी। उनके सीनियर (SENIORS ) बताते हैं कि शुरुआत में जब गांव में कबड्डी खेलना शुरू किया गया था। तब गांव के लोग उन पर कमेंट करते थे कि तुम भविष्य में क्या कर लोगे,
जब उन्होंने खेल के माध्यम से अच्छा प्रदर्शन किया और कई सारे मेडल गांव में लेकर आए तो युवाओं का रुझान इस खेल की ओर हुआ और गांव के कई युवाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन किया। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में भी कई और खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल करेंगे।