हरियाणा का यह मंदिर था पांडवों की जीत का राज़, जानिए मां कालका के विजयी आश्रीवाद का सच

 

हरियाणा के अंतरगर्त आने वाले फरीदाबाद में वैसे तो कई प्राचीन मंदिर हैं और उनकी अपनी मान्यता और खासियत भी हैं। मगर आज हम आपको फरीदाबाद के गांव मोहना के जंगलों में बने मां कालका मंदिर के बारे में विस्तार से अवगत करवाएंगे।

जानकारी के मुताबिक मोहना गांव में बना मां कालका का मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर के प्राचीन होने का सबूत मंदिर के आसपास बने चार विशालकाय खंबे हैं. मंदिर का आकार काफी विशाल है।

इतना ही नहीं कहा तो यह भी जाता हैं कि अज्ञातवास के दौरान पांडव जब इस इलाके से गुजरे तो यहां स्थित कालका मंदिर पर उनकी नजर पड़ी और उन्होंने माता की पूजा अर्चना कर विजयी होने का आशीर्वाद मांगा। कहीं न कहीं मां से मिले आशीष के कारन ही पांडवो ने युद्ध में विजय हासिल की थी।

मुंडन के लिए भी मशहूर यह मंदिर

लोग इस मंदिर में बच्चों का मुंडन भी करवाते हैं। करीब ढाई एकड़ क्षेत्र में बने इस मंदिर में ठहरने का भी विशेष इंतजाम है। मंदिर के आस-पास श्रद्धालुओं ने ही मां के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिए धर्मशाला बनवाई हुई है। जहां दूर-दराज से आने वाले भक्त ठहरते हैं।

अष्टधातु निर्मित अद्भुत मूर्ति

मोहन गांव को पहले मोहनगढ़ के रूप में माना जाता था, इसलिए मां कालका को मोहनगढ़ वाली मां कालका के रूप में भी जाना जाता है. मंदिर में स्थापित मां कालका की मूर्ति अष्टधातु की बनी हुई है. मूर्ति के पीछे अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है, जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ पाया. मंदिर में हर महीने सप्तमी और अष्टमी पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

नवरात्रों में उमड़ती है भीड़

मंदिर में शारदीय और चैत्र नवरात्रों पर जिला फरीदाबाद ही नहीं, बल्कि दिल्ली और यूपी के सुदूर इलाकों से भी माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र के दिनों में तो मंदिर में भक्तों की लंबी लाइन लगती है।
मान्यता है कि माता के सामने सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. मंदिर के प्रति लोगों में इतनी श्रद्धा है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग पैदल ही माता की पूजा करने पहुंच जाते हैं।

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