पानीपत यमुना नदी के तट पर मौजूद ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। ये शहर महत्वपूर्ण युद्ध का गवाह रहा है। एक बेहतरीन इतिहास होने की वजह से यहां कई खूबसूरत जगहें भी मौजूद हैं। उन शानदार जगहों में से एक है यहां का काबुली बाग मस्जिद।
आपको बता दें, पानीपत की पहली लड़ाई के बाद, बाबर ने इब्राहिम लोधी पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए, शानदार काबुली बाग मस्जिद का निर्माण किया था।
बेगम के नाम पर रखा गया है नाम
इस मस्जिद का नाम बाबर की पत्नी मुसम्मत काबुली बेगम के नाम पर पड़ा है। चलिए आपको इस मस्जिद के बारे में कुछ और दिलचस्प बातें बताते हैं।
काबुली बाग वास्तुकला का एक शानदार नमूना है, जो मुगल वास्तुकला के कलात्मक डिजाइन को प्रदर्शित करता है। इसे पानीपत की पहली लड़ाई के ठीक बाद साल 1526 के दौरान बनाया गया था। सजदा करने वाले लोग हमेशा इस जगह पर रोजाना आते-जाते रहते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ये ऑरिजनल बाबरी मस्जिद है।
इस स्मारक की वास्तुकला को तैमूर वास्तुकला कहा जाता है, जो मध्य एशियाई में काफी इस्तेमाल की जाती थी। इस मस्जिद में दोनों तरफ दो कोठरियां हैं, जिनपर आपको फारसी शिलालेख उकेरे हुए दिख जाएंगे। मस्जिद का मुख्य हॉल चूने से बनाया गया है और इसके किनारों पर उपभवन भी डिजाइन किए गए हैं।
मुगल काल की राजसी वास्तुकला को देखने के लिए दुनिया भर से कई पर्यटक इस स्थान पर घूमने के आते रहते हैं। आपको बता दें, यह बाबर द्वारा निर्मित पहली स्मारक है। उसके बाद मुगलों द्वारा कई स्मारकों का निर्माण किया गया, लेकिन भारत में उनकी पहली जीत के रूप में ये स्मारक हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही।
काबुली बाग मस्जिद मुख्य शहर से सिर्फ 2 किमी दूर स्थित है। इसलिए, लोग ऑटो रिक्शा किराए पर ले सकते हैं या यहां तक पहुंचने के लिए प्राइवेट टैक्सी ले सकते हैं। यात्रियों को अपने प्राइवेट वाहनों से पहुंचने के लिए सनोली रोड से जाना पड़ता है। पानीपत के किसी भी हिस्से से काबुली बाग मस्जिद तक पहुंचना बेहद आसान है।