हरियाणा अपनी सांस्कृतिक धरोहर, कृषि और विकासशील उद्योगों के लिए जाना जाता है। इस राज्य की एक महत्वपूर्ण पहचान उसका राजकीय पशु भी है, हरियाणा का राजकीय पशु काला हरिण है जिसे स्थानीय भाषा में ‘कृष्ण मृग’ भी कहा जाता है। काला हरिण को 1980 में हरियाणा का राजकीय पशु घोषित किया गया था।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
काला हरिण एक मध्यम आकार का मृग है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह अपने अद्वितीय काले और सफेद रंग संयोजन और घुमावदार सींगों के लिए प्रसिद्ध है। नर काला हरिण की त्वचा गहरी काली होती है, जबकि मादा और युवा हरिण हल्के भूरे रंग के होते हैं। नर के सींग लम्बे, स्पाइरल आकार के होते हैं, जो उसकी पहचान का एक प्रमुख हिस्सा होते हैं।
काला हरिण ज्यादातर घास के मैदानों, खुली झाड़ियों और सूखे इलाकों में पाए जाते हैं। हरियाणा में, इनका मुख्य निवास स्थान भिंडवास वन्यजीव अभयारण्य, सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, और हिसार का डियर पार्क है। ये स्थान काले हरिणों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
तेजी से हो रहे शहरीकरण और कृषि विस्तार के कारण काले हरिणों का प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है।
ऐतिहासिक रूप से, काला हरिण अपने मांस और सींगों के लिए शिकार का शिकार हुआ है।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण भी उनके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं।
इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कई संरक्षण प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठन काले हरिण के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने, शिकार पर रोक लगाने, और जागरूकता फैलाने में जुटे हुए हैं।
सांस्कृतिक महत्व
काला हरिण न केवल जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि भारतीय संस्कृति में भी इसका एक विशेष स्थान है। इसे भगवान कृष्ण के साथ जोड़ा जाता है, जो स्वयं काले रंग के थे और जिनकी त्वचा का रंग काले हरिण के समान माना जाता है। इसके अलावा, कई लोक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में भी काले हरिण का उल्लेख मिलता है, जो इसे एक पवित्र और सम्मानित प्राणी बनाता है।
हरियाणा सरकार की पहल
हरियाणा सरकार ने काले हरिण के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राज्य में कई वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की गई है, जहां काले हरिण को संरक्षित और सुरक्षित माहौल में रखा जाता है। इसके अतिरिक्त, वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को काले हरिण और अन्य वन्यजीवों के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा रहा है।