हरियाणा के इस शहर को मिली बुनकरों से पहचान, ग्राहकों की लिस्ट में भारतीय सेना और रेलवे भी शामिल

हरियाणा राज्य के अंतरगर्त आने वाला जिला पानीपत हथकरघा उत्पाद के चलते पूरे विश्व में अपनी एक अलग छाप छोड़ चुका हैं, इतना ही नहीं माल की उच्च गुणवत्ता व कम दाम की वजह से पानीपत की हथकरघा बाजार इन दिनों एशिया की सबसे बड़ी मार्किट के रूप में भी शामिल हो चुका हैं।

सबसे महवत्पूर्ण बात तो यह है कि भारत सरकार सेना और भारतीय रेलवे नेटवर्क में सफर करने वाले यात्रियों के लिए भी यहीं से कम्बल व उच्च गुणवत्ता के पर्दे खरीदती हैं।

बदलते समय के साथ-साथ पानीपत के व्यापारी भी अपने काम करने का तरीके बदलते चले गए जो काम आज़ादी के समय चरखे से किया जाता था आज आयतित मशीनों से वह काम करने लगे हैं। परिणामस्वरूप आज पानीपत की हथकरघा बाजार ने अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं । जिसके चर्चे आज पूरे विश्व में हो रहा है और पूरे विश्व में आज के दौर में पानीपत से माल सप्लाई होता हैं।

शुरुआत कि बात करें तो पानीपत में हैंडलूम से जुड़े उधोग धंधे की शुरुआत 1947 के विभाजन बाद से हुई थी । हिंदुस्तान की आजादी के समय अविभाजित हिंदुस्तान के पंजाब प्रांत के पाकिस्तान वाले हिस्से से यहां आए लोग अपने साथ हाथ से धागा बनाने वाले चरखे भी लेकर आए थे।

जिनके साथ इन्होंने पूरी मेहनत के साथ काम करना शुरू किया और उसके बाद यहां हर घर में चरखे चलने शुरू होगा । जिससे हथकरघा व्यापार धीरे-धीरे बढ़ने लगा और फिर बाद में स्वरूप बदलने के साथ-साथ मशीनें आईं और अब सबकुछ ऑटोमैटिक मशीनों पर तैयार होने लगा हैं।

बदलते युग के साथ-साथ व्यापार करने का तरीका भी बदलता गया। आलम यह हैं कि आज पानीपत अपने काम और सामान की गुणवत्ता की वजह से पूरे विश्व में छा गया हैं।

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