हरियाणा का ऐसा गांव जहा धूम्रपान करना है मना, रिश्तेदारों को भी नही है इजाजत

Haryana : नशा किसी भी प्रकार का क्यों न हो व्यक्ति के लिए हानिकारक ही होता हैं। इसलिए हर कोई कोशिश यही करता है कि खुदको हर प्रकार के नशे से दूर रखा जाए। मगर आपने कभी सुना है जहां न सिर्फ एक व्यक्ति, न ही पूरा परिवार बल्कि एक गांव धूम्रपान का त्याग कर चुका है । अगर नहीं तो ऐसा हुआ है और वाक्या हरियाणा के एक ऐसे गांव का हैं धूम्रपान नहीं करता, जवान हो या बुजुर्ग कोई बीड़ी-सिगरेट, पान-मसाला से दूर ही रहता है।

इस बात से इतने हैरान मत होइए इससे ज्यादा हैरान इसके पीछे की वजह है। यह गांव हरियाणा के अंतिम छोर पर बसा हुआ है इस गाँव का नाम टीकला। यहां की आबादी मात्र 1500 लोगों की है। टीकला गांव भले ही छोटा हो या लोग कम हों लेकिन यहां कई सालों से चली आ रही इस एक परंपरा इस गांव को ऐतिहासिक बना देती है।

इस गांव की ख़ास बात यह है कि यहां कोई भी धूम्रपान नहीं करता, चाहे वो बुज़ुर्ग हो कोई जवान। सिर्फ इतना ही नहीं अगर गांव में कोई बाहरी आता है तो उसे भी बीड़ी-सिगरेट का सेवन नहीं दिया जाता है।

जब कभी कोई अंजान व्यक्ति गांव में आता है तो गांववालों का उससे पहला सवाल यही होता है कि जेब में बीड़ी-सिगरेट, पान-गुटखा तो नहीं है? इसके बाद ही उससे आगे की हाल-चाल ली जाती है। इस नन्हें से गांव को हरियाणा ही नहीं बल्कि राजस्थान के भी कई गांव आदर्श मानते हैं। ग्राम टीकला में तंबाकू का किसी रूप में सेवन ना करने की यह परंपरा आज की नहीं बल्कि कई दशकों की है। आज के समय भारत के कोने-कोने में इस गांव को इसलिए ही पहचाना जाता है कि यहां कोई तंबाकू का सेवन नहीं करता।

आपको तो पाता ही है यह प्रदेश अपने हुक्का सामाज और पंचायती तौर-तरीके के लिए जाना जाता है। इस प्रदेश के बाकी गांवों में जहां हुक्का की परंपरा है वहीँ टीकला गांव भी जाट बाहुल्य है। लेकिन यहां पर तंबाकू का पूरी तरह निषेध होना अपने आप में बड़ी बात मानी जाती है।

गांव के बुजुर्ग लोग कहते हैं कि गांव के युवा पीढ़ियों से धूम्रपान नहीं करने की बात सुनते आ रहे हैं, ऐसे में वो भी इससे दूरी ही बनाए रखते हैं और इसे बुरी आदत मानते हैं। यह गांव कहीं न कहीं एक प्रेणादायक सन्देश भी लोगों तक पंहुचा रहा है कि चाहे व्यक्ति कैसा क्यों न अगर संगति और ढृण निश्चय कर लिया जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता हैं।

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