हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित खुखराना गांव की स्थिति ऐसी है कि यहां कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता। यह गांव पानीपत शहर से महज 13 किलोमीटर दूर असंध रोड पर बसा है, लेकिन पिछले 25 वर्षों से प्रदूषण का दंश झेल रहा है, जिससे यहां के लोग अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
1978 में इस गांव के पास बिजली निर्माण के लिए थर्मल प्लांट स्थापित किया गया था। इस प्लांट से ग्रामीणों को रोजगार मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन समय के साथ यह उम्मीद धूमिल हो गई। थर्मल प्लांट और उसके बाद स्थापित सीमेंट फैक्टरी ने इस गांव को प्रदूषण की चपेट में ले लिया, जिससे गांव का वातावरण और जलस्तर बुरी तरह प्रभावित हो गया।
थर्मल प्लांट और सीमेंट फैक्टरी से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों ने गांव की हवा और पानी को दूषित कर दिया है। थर्मल प्लांट से निकलने वाली राख और फैक्टरी के गंदे पानी ने गांववासियों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। यहां के लोगों को सांस, खांसी, दमा और टीबी जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। दूषित जल की वजह से जलस्तर ऊपर आ जाने से गांववासियों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है, जिससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ गई हैं।
1993 में गांव सुधार समिति ने इस गंभीर समस्या को लेकर हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने सरकार को गांव शिफ्ट करने के निर्देश दिए और 24 घंटे बिजली और शुद्ध पेय जल मुहैया कराने के आदेश दिए। हालांकि, गांववालों को 24 घंटे बिजली तो मिलने लगी, लेकिन शुद्ध पानी की समस्या जस की तस बनी रही। कुछ दिनों के लिए शुद्ध पेय जल मिला, लेकिन फिर से गांववासियों को गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ा।
सरकारी नौकरी लगे हुए युवा की ही हो रही शादियांचमड़ी के रोग के साथ-साथ इस गांव में दमा और टीबी के भी मरीज हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 8 से 9 साल से यहां शादी के लिए बहुत ही कम रिश्ते आ रहे हैं और शादी भी बहुत कम हो रही है। अगर कोई शादी होती भी है तो वह सरकारी नौकरी लगे हुए युवा की ही होती है।