हरियाणा के इस जिले में है शीशे वाली मज्जिद, दीदार से चमक जायेंगी आंखे , 200 साल पुराना है इतिहास 

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता है। इस विविधता में धार्मिक स्थलों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इनमें से कुछ मंदिर और मस्जिद अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। रोहतक शहर में स्थित शीशे वाली मस्जिद ऐसी ही एक अनमोल धरोहर है। 

यह मस्जिद लगभग 200 साल पुरानी है और अपनी खूबसूरती के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। मस्जिद की दीवारों और छतों पर लगे शीशे इसको एक अद्भुत चमक देते हैं, जो रमजान के दौरान जगमगा उठती है।

शीशे की नक्काशी की गई

मस्जिद के मौलवी बताते हैं कि इस पर जो शीशे से नक्काशी की गई है, वह दोबारा से कराई गई है और उसी तरह से कराई गई है, जैसे यह पहले थी. मस्जिद ज्यादा पुरानी होने के कारण शीशे उखड़ गए थे, जिन्हें दोबारा से लगवाया गया है. इस मस्जिद के इतिहास के बारे में मौलवी बताते हैं कि पहले यहां पर कसाई रहा करते थे.

उनके नाम से यहां पर एक कसाई चौक भी है. उस वक्त एक चलन था कि पैसे वाले लोग इबादत के लिए अपनी अपनी मस्जिदें बनवा लेते थे. यह मस्जिद कसाइयों ने ही बनवाई थी.

आज भी रोहतक जिले में 103 मस्जिदे हैं, जिनमें रोहतक शहर में तीन अभी भी आबाद हैं. शीशे वाली मस्जिद, लाल मस्जिद और नूरानी मस्जिद. इन तीनों में सबसे पुरानी शीशे वाली मस्जिद ही है. मस्जिद के मौलवी ने कहा कि मस्जिद और मंदिर इबादतगाह होते हैं, जहां पर हम अल्लाह से नेक कामों के लिए दुआ मांगते हैं. यहां पर काफी लोग नमाज पढ़ने के लिए आते हैं.

इस कारण मशहूर था मस्जिद

यह मस्जिद चमेली मार्केट में मौजूद है. इसके बारे में एक कहानी और प्रचलित है. यहां पर चमेली बाई नाम की एक मशहूर नृतकी रहती थी, जिसका मुजरा देखने के लिए दूर-दूर से नवाब और रइसजादे आते थे.

तब यह स्थान काफी मशहूर हो गया था और तब पैसे वाले लोगों में एक होड़-सी होती थी. उस दौरान यह एरिया काफी फल-फूल रहा था. तभी इस मस्जिद का भी निर्माण कराया गया. बाद में उनके नाम से इस मार्केट का नाम चमेली मार्केट पड़ा.

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