एक तरफ जहां कई ऐसे युवा हैं जिन्होने अपनी प्रतिभा का परचम राष्ट्रीय से लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर लहराया हैं, तो हरियाणा सरकार कौशल विकास के लिए पिछले एक दशक से जोर लगा रही है, मगर आलम यह हैं आज भी हालात ज्यों के त्यों बनाए हुए हैं |
ऐसा नहीं है कि युवाओं में आईआईटी के प्रति क्रेज कम ही गया है, मगर प्रदेश के 29 खंडों के युवाओं को अपना कौशल बढ़ाने के लिए या तो रोजाना 20 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है या फिर उन्हें आईटीआई में पढ़ाई का विकल्प ही छोड़ना पड़ता है।
वैसे तो अभी तक भी पांच खंडों में सरकार की स्वीकृति के बाद भी आईटीआई अभी तक खोल पाने में सक्षम नहीं साबित हुई हैं। हालांकि कई जगह भवन निर्माण कार्य व अन्य कागजी प्रक्रियाएं चलने के बावजूद भी ज्यादातर युवा जिला मुख्यालय स्थित संस्थानों से पढ़ाई के लिए मजबूर हैं। बता दें कि यह प्रस्थिति प्रदेश में न केवल ग्रामीण लड़के, बल्कि शहरी क्षेत्र की लड़कियों के सामने भी उत्पन्न है। इसकी यही वजह है कि प्रदेश के विभिन्न खंडों में आईटीआई संस्थान नहीं हैं। प्रदेश के 10 खंड ऐसे हैं, जहां पर एक भी राजकीय आईटीआई नहीं हैं, इन खंडों के विद्यार्थी निजी आईटीआई या दूसरे खंड के सरकारी संस्थान में पढ़ाई करने जाते हैं।
इसके अलावा 14 खंड ऐसे भी हैं, जहां न तो राजकीय और न ही निजी आईटीआई हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों के विद्यार्थी या तो जिला मुख्यालय की तरफ रुख करते हैं या फिर आईटीआई की बजाय आगे की पढ़ाई के लिए दूसरा विकल्प चुनते हैं। सबसे ज्यादा फतेहाबाद में चार, जींद और कुरुक्षेत्र में तीन खंडों में एक भी संस्थान नहीं है। जबकि करनाल, चरखीदादरी, कैथल, पंचकूला, पानीपत, सोनीपत, रेवाड़ी और नूंह में एक-एक खंड ऐसा है जहां निजी व राजकीय कोई भी आईटीआई नहीं है।
इसके अतिरिक्त पांच खंडों में सरकार की स्वीकृति के बाद भी आईटीआई अभी तक नहीं खुल पाई हैं। हालांकि कई जगह भवन निर्माण कार्य व अन्य कागजी प्रक्रियाएं चल रही हैं। ऐसे में ज्यादातर युवा जिला मुख्यालय स्थित संस्थानों से पढ़ाई के लिए मजबूर हैं। इसके लिए कई गांवों, कस्बों एवं उपमंडल के युवाओं को रोजाना बसों से लंबा सफर करना पड़ता है। वर्तमान में प्रदेश के 22 जिलों में 192 सरकारी और 225 निजी आईटीआई संचालित हैं। ब्यूरो