हरियाणा जिले के अंतरगर्त आने वाले पानीपत में बनी कलंदर पीर की दरगाह देश दुनिया में बेहद मान्यता हैं। यही कारन हैं कि यहां 35 मुल्कों से लाखों जायरीन हर साल आते थे। इस दरगाह की बात करें तो वैसे तो पूरी दुनिया में कुल ढाई कलंदर हैं, जिसमें से यह पहले नंबर पर आता हैं।
वही बात करें दूसरे नंबर पर तो वो पाकिस्तान में स्थित कलंदर साहब हैं और ईराक में महिला राबिया के नाम पर बसरी शहर में आधा कलंदर है। दरगाह के बारे में मान्यता है कि यह दरगाह साढ़े 700 साल पुरानी है। इसे जिन्नों ने एक रात में ही बनाया था। आज भी यहां जिन्नों के लगाए गए नायाब पत्थर मौजूद हैं।
बताया जाता है कि जब जिन्न इस दरगाह को रात के समय बना रहे थे और इमारत लगभग बनकर तैयार होने वाली थी, तो सुबह उठकर शहर की किसी महिला ने हाथ से आटा पीसने वाली चक्की को चला दिया। चक्की की आवाज सुनकर जिन्न अपना काम अधूरा छोड़ कर चले गए थे।
जानकारी के मुताबिक पानीपत स्थित दरगाह में एक हाली ओरिएंटल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर भी है। इसमें हिंदी, उर्दू, इंग्लिश में पहली से लेकर बारहवीं तक की तकरीबन सभी किताबें मौजूद हैं। इस्लाम और कलंदर पीर पर रिसर्च करने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं। कई विश्वविद्यालय इस पर पीएचडी तक करवा रहे हैं।
कलंदर पीर का पूरा नाम शाह शरफूदीन बू अली शाह कलंदर है। कलंदर पीर के अंदर बादशाह जहांगीर के वजीर नवाब मुकरबअली खां और उनके परिवार की मजार भी है।
सबसे अहम् और खास बात तो यह हैं कि इस मजार पर मिस्र से जहरखुरानी पत्थर लगवाया गया है। माना जाता है कि भारत में यह ऐसा इकलौता पत्थर है, बाकी पत्थर अभी मिस्र में ही हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी इंसान को कोई भी जहरीला कीड़ा काट ले तो इस पत्थर का पानी उसे पिलाने से जहर का असर खत्म हो जाता है। इतना ही नहीं कलदंर पीर के मेन गेट पर कसौटी के पत्थरों के चार खंभे बनाए गए हैं।
दावा है कि इन खंभों पर किसी भी प्रकार की धातु को रगड़ कर उसकी गुणवत्ता जांची जा सकती है। आम तौर इस पत्थर का एक छोटा सा टुकड़ा जौहरी सोने चांदी की परख करने के लिए रखते हैं, लेकिन यहां इसके चार खंभे इसे विशेष बनाते हैं।
इसके चारों कोनों पर एक मौसम के पूर्वानुमान को बताने वाला पत्थर भी लगा है। बारिश से पहले ये पत्थर गीला हो जाता है। वहीं, आंधी तूफान से पहले ये पत्थर अपना रंग बदल लेता है। दरगाह के चारों तरफ का कटघरा चांदी से बना है। इसके दरवाजे भी चांदी के हैं, इन पर सोने के पानी से लिखावट की गई है। दरगाह के गुबंद पर शीशे से कुरान की आयतें लिखी हैं