हरियाणा में मौजूद है बेस्ट हिस्टोरिकल प्लेस, इतिहास के साथ छिपे गहरे राज़ है यहां

हरियाणा अंदर कई ऐतिहासिक गवाह स्वररूप इमारतें और किलों से खुदको समेटे हुए हैं। वहीं खास बात तो यह हैं कि यह ऎतिहासिक दीवारें केवल एक जिले में नहीं हैं, बल्कि पानीपत, हिसार, रोहतक आदि शहरों में है। इतिहास का गवाह रह चुकी दीवारें हुए किलें बदलते वक़्त के साथ सतह लोगों के लिए आकर्षक बनती जा रही हैं। यही कारण हैं कि हरियाणा धीरे धीरे टूरिस्ट प्लेस में तब्दील होता दिखाई दे रहा हैं। अगर आप भी इतिहास हुए ऐतिहासिक चीजों में रूचि रखते है तो यह आर्टिकल आपको खुश कर देगा।

1.लार्ज रेक्टंगुलर प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा गुजरी महल

हरियाणा के हिसार में मौजूद गुजरी महल एक प्राचीन और प्रमुख ऐतिहासिक जगह है। इस महल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था. ये जगह भी प्रेम की निशानी ही है, क्योंकि फिरोजशाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गुजरी के लिए इस महल का निर्माण करवाया था।

675 साल पहले 1354 में बनाया गया फिरोजशाह का किला यानि गुजरी महल बहुत ही खास है. किले का 80 फुट लंबा तथा इक्कीस फुट चौड़ा दीवान-ए-आम भी आकर्षण का केंद्र रहा है. इसके नीचे मौजूद चालीस खंभे इसे और भी खूबसूरत और ग्रैंड बनाते हैं. यह महल एक लार्ज रेक्टंगुलर प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा है।

2. खंडहर में बदल चुका मटिया किला

मटिया महल हरियाणा के पलवल में मौजूद है. इस किले के अंदर कई मकबरे है। पलवल में घूमने के लिए यह एक अच्छी जगह हैं। मुगल काल में पलवल में मटिया किला बनवाया गया था, लेकिन अब यह किला फ़िलहाल खंडहर में बदल चुका है लेकिन इसके बाद भी ये आज भी पलवल का एक फेमस टूरिस्ट प्लेस हैं।

शेरशाह सूरी के समय में पलवल तहसील के ग्राम बुलवाना में बनवाई गई मीनार और ग्राम अमरपुर में 150 वर्ष पुराना गोल मकबरा अफगान कला का इनफॉर्मर है. इस तहसील के ग्राम जैनपुर में पक्की ईंटों से बना एक तालाब भी है।

 

3. रास्ता पहचानने व दूरी नापने में मददरगार कोस मीनार

कोस मीनार ऐतिहासिक स्मारकों में से एक हैं । मुगलकालीन कोस मीनार का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था। कोस मीनार की ऊंचाई 30 फीट है. इसके गोला‌र्द्ध में 24 चौकोर खाने है। हर तीन किलोमीटर पर एक मीनार स्थापित है. मीनार की वजह से ही यात्रियों को रास्ता पहचानने व दूरी नापने में मदद मिलती है।

4.जल से घिरा हुआ जल महल

हरियाणा के नारनौल जिले में मौजूद जल महल ऐतिहासिक महल है। इस महल का निर्माण शाह कुली खान ने सन 1591 में करवाया गया था।


पानीपत के दूसरे युद्ध के बाद इस महल का निर्माण किया गया था। जैसा कि नाम से पता चलता है जल महल चारों ओर से जल से घिरा हुआ है, यह स्मारक इंडियन और पर्शियन स्टाइल के आर्किटेक्चर को दर्शाती है। यह पानी के कुंड के बीच में मौजूद है जो अब सूख चुका है. नार्थ साइड की तरफ एक सेतु है जिसका एंट्री गेट धनुषाकार है जो सीधे कुंड में खुलता है। मुख्य इमारत के बाहर चार मीनारें हैं और इन सभी में ऊपर जाने के लिए सीढियां हैं।

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