हरियाणा की इस रहस्यमयी बाबड़ी में दफ़न हैं कई राज़, खज़ाने पर दिन रात पहरा देते हैं सैकड़ों चमकादड़

Haryana : हरियाणा जितना पौराणिक कथाओ के लिए जाता हैं, तो इसका इतिहास भी ऊंट्ना दिलचस्प हैं। हरियाणा के ऐतिहासिक पन्नो में कई राज़ दफ़न है, इसी कड़ी में आज आप हरियाणा में स्थित चोरों की बावड़ी के बारे में जानेंगे। यह बावड़ी रोहतक के महम में है।

महम रोहतक जिले में स्थित एक तहसील है। आप यहां राष्ट्रीय राजमार्ग 9 जो पहले NH-10 होता था, यहां स्थित है। दिल्ली और सिरसा के बीच एक स्टॉप पड़ता है। यहां आप पत्थरों पर ‘स्वर्ग का झरना’ लिखा हुआ देख सकते हैं।

इसका निर्माण 1658-59 ईसवी में सैद्यू कलाल ने करवाया था। इसे मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार ने बनवाया था। इस बावड़ी में पहले कमरे बने हुए थे, लेकिन अब यह एक टूटी-फूटी बिल्डिंग के सामान हो गया था। यहां एक कुआं है, जिसका पानी गहरे काले रंग का है।मगर आपने कभी सोचा आखिर इसको चोरों की बावड़ी के नाम से क्यों जाना जाता है।

 

दरसल, इस बावड़ी से जुड़ी एक चोरों की कहानी काफी ज़्यादा प्रचलित है। एक समय था जब खा जाता था कि एक चोर था, जो जब भी कोई सामान चुराता, तो वह इस बावड़ी में जाकर छिप जाता। जब भी गांव वाले इसका पीछा करते थे, तो वह भागते हुए इस बावड़ी में आकर छलांग लगाकर गायब हो जाता था।

वहीँ यह भी बताया जाता हैं कि बावड़ी में एक कुआं है जिसमें भीतर जाने के लिए 101 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। लोग उसे खोजते रहते, लेकिन किसी को वह नहीं मिलता। माना जाता है कि आज भी यहां खजाना छिपा हुआ है। इस बावड़ी के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह जितना बड़ा बाहर से है, उतना ही अंदर से भी है। हालांकि, इस बावड़ी को लेकर इतिहास में कोई जानकारी नहीं मिलती।

 

इसके अलावा इस जगह के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां जमीन के अंदर सुरंगों का जाल बना हुआ है, तो पाकिस्तान के लाहौर तक जाता है। 1995 में आई भीषण बाढ़ के बाद बावड़ी का काफी हिस्सा तहस-नहस हो गया था। सीढ़ियों पर दिन-रात चमगादड़ों का पहरा रहता है।

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