एटीएम से पैसे निकालने वाले ग्राहकों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। एटीएम ऑपरेटरों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) से संपर्क कर इंटरचेंज फीस बढ़ाने की मांग की है। अगर यह मांग मंजूर होती है, तो एटीएम से कैश निकालने पर ग्राहकों को ज्यादा शुल्क चुकाना पड़ सकता है।
इंटरचेंज फीस क्या है?
इंटरचेंज फीस वह शुल्क है जो एक बैंक दूसरी बैंक को एटीएम से पैसे निकालने के बदले में अदा करता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास एक्सिस बैंक का एटीएम कार्ड है और आप एसबीआई के एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो एक्सिस बैंक एसबीआई को इंटरचेंज फीस का भुगतान करेगा। यह शुल्क अंततः ग्राहकों पर ट्रांसफर किया जाता है।
इंटरचेंज फीस में वृद्धि की मांग क्यों?
एटीएम ऑपरेटरों का कहना है कि इंटरचेंज फीस बढ़ाने से उनके बिजनेस को अधिक फंडिंग मिलेगी, जिससे वे अपने ऑपरेशन्स को बेहतर कर सकेंगे। एटीएम इंडस्ट्री कंसोर्टियम (CATMI) ने इस फीस को बढ़ाकर 23 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन करने की मांग की है। वर्तमान में यह शुल्क 17 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन है, जो 2021 में बढ़ाया गया था।
पिछली बार कब बढ़ी थी इंटरचेंज फीस?
इंटरचेंज फीस में आखिरी बार 2021 में बढ़ोतरी की गई थी। उस समय इसे 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये किया गया था। ऑपरेटरों का कहना है कि पिछले बदलाव में काफी समय लगा था, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया तेजी से हो सकती है।
यदि इंटरचेंज फीस बढ़ाई जाती है, तो इसका सीधा असर एटीएम से पैसे निकालने वाले ग्राहकों पर पड़ेगा। बढ़ी हुई फीस का भार अंततः ग्राहकों को उठाना पड़ेगा। हालांकि, डिजिटल लेनदेन के बढ़ते क्रेज के कारण इसका प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन फिर भी यह बदलाव जनता की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
एटीएम से पैसे निकालने पर इंटरचेंज फीस में वृद्धि की मांग का असर ग्राहकों पर पड़ेगा। एटीएम ऑपरेटरों और बैंकों ने आरबीआई और एनपीसीआई से संपर्क किया है और उम्मीद है कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस बढ़ोतरी के चलते ग्राहकों को अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है, जिससे उनकी जेब पर भार बढ़ सकता है।