हरियाणा जितना अपने खान पान, रहन – सहन के लिए प्रसिद्ध है, उससे कई ज़्यादा वो यहां अपनी राजनीति के लिए जाना जाता हैं। वैसे तो हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था। जब से लेकर 2014 तक के चुनावों का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय दल बनते-टूटते रहे या दूसरी पार्टियों संग मिलकर गठबंधन करते दिखाई देते हैं। कभी यह जनता के लिए हमदर्द बनते तो कभी विपरीत पार्टियों के लिए सर दर्द बन जाते हैं।
इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) राज्य में प्रमुख दल हैं। अतीत में, हरियाणा विकास पार्टी (एचवीपी), हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) (एचजेसी-बीएल), जनता दल (जेडी), जनता पार्टी (जेपी), विशाल हरियाणा पार्टी (वीएचपी), भारतीय जनसंघ ( बीजेएस) रहे हैं।
पंजाब से हरियाणा अलग होने के बाद लोकसभा के चुनाव 1967 में हुए थे। तब लोकसभा की 9 सीटें थी और वो चौथा लोकसभा(1971) का चुनाव था। जिसमें कांग्रेस-7, भारतीय जनसंघ-1, निर्दलीय-1। पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-7, भारतीय जनसंघ-1, विशाल हरियाणा पार्टी-1 (राव बीरेंद्र सिंह ने यह पार्टी बनाई थी। जो हरियाणा की पहली क्षेत्रीय पार्टी थी। 23 सितंबर 1978 में कांग्रेस में विलय हो गया था। इस पार्टी की खासियत यह थी कि पार्टी बनने के 6 महीने के भीतर बहुमत पा गई और अपना मुख्यमंत्री बनाया।)
छठे लोकसभा(1977) चुनावों में जनता पार्टी को (भारतीय लोकदल) को 10 सीटें मिली थी। इसी चुनाव में हरियाणा की सीटें 9 से 10 हुई थी। सातवें(1980) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-5, जनता पार्टी(सोशलिस्ट)-4, जनता पार्टी-1। आठवें लोकसभा(1984) में कांग्रेस-10। नौवें लोकसभा(1989) चुनाव में जनता दल-6, कांग्रेस-4। दसवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-9, हविपा-1। ग्यारवें लोकसभा चुनाव(1996) में भाजपा-हविपा—4-3, कांग्रेस-3,
निर्दलीय-1। 12वीं लोकसभा(1998) में हरियाणा लोकदल(राष्ट्रीय) और बसपा गठबंधन—4-1, कांग्रेस-3, एनडीए(भाजपा-1, हविपा-1)। 13वीं लोकसभा में एनडीए( भाजपा-5, इनेलो-5)।14वीं लोकसभा में (2004) में कांग्रेस-9, भाजपा-1। 15वीं लोकसभा(2009) में कांग्रेस-9, हजकां-1। 16वीं लोकसभा(2014) में भाजपा-7, इनेलो-2, कांग्रेस-1। 17वीं लोकसभा (2019) में बीजेपी ने सभी सीटों पर परचम लहराया और 10 की 10 लोकसभा सीट पर कब्जा किया।
1966 में बिना चुनाव हुए पंजाब में रहते हुए चुने गए विधायकों के आधार पर भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के मुख्यमंत्री बनें। हरियाणा में विधानसभा के पहले चुनाव 1967 में हुए। पर इसे दूसरा विधान सभा चुनाव कहा गया। तब 81 सीटें थी। जिसमें से कांग्रेस-48, भारतीय जनसंघ-12, आजाद-16। तीसरे विधानसभा(1968) में कांग्रेस-48,विशाल हरियाणा पार्टी-16, भारतीय जनसंघ-7। चौथे विधान सभा चुनाव(1972) कांग्रेस-52, इंडियन नेशनल कांग्रेस आर्गेनाइजेशन(एनसीओ)-12। 5वें विधान सभा(1977) जनता दल-75, विशाल हरियाणा पार्टी-5, कांग्रेस-5।
6वें विधानसभा(1982) कांग्रेस-36, लोकदल-31, भाजपा-6, आजाद-16। 7वें विधान सभा(1987) लोकदल-60, भाजपा-16, कांग्रेस-5। 8वें विधानसभा कांग्रेस-51। 9वें विधान सभा(1996) हविपा-33, भाजपा-11, समता पार्टी-24, कांग्रेस-9, 10वें विधानसभा (2000) इनेलो-47, भाजपा-6, कांग्रेस-21। 11वें विधानसभा(2005) कांग्रेस-61, इनेलो-9। 12वें विधानसभा(2009) में कांग्रेस-40, इनेलो-31, हजकां-6, भाजपा-4। 13वें विधानसभा(2014) में भाजपा-47, इनेलो-19, कांग्रेस-15।
14वें विधानसभा (2019) में बीजेपी ने 40 सीटें जीतीं। कांग्रेस ने 31, जेजेपी ने 10, इनेलो ने एक, हरियाणा लोकहित पार्टी ने एक और आजाद उम्मीदवार के तौर पर 7 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी बहुमत से चूक गई और उसे जेजेपी जो इनेलो से निकाले जाने के बाद दुष्यंत चौटाला ने पार्टी खड़ी की थी उसके सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब रही।