IAS Success Story: अगर आपके मन में कुछ करने की लगन हो तो आप किसी भी मुकाम तक पहुंच सकते हैं। हिमांशु गुप्ता की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। हिमांशु, एक मजदूर के बेटे, ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर आईएएस बनने का सपना साकार किया। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी उन सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है जो परेशानियों और कठिनाइयों के बीच अपनी पढ़ाई छोड़ने का सोचते हैं।
हिमांशु गुप्ता की सक्सेस स्टोरी
हिमांशु गुप्ता का बचपन बेहद गरीबी में बीता। स्कूल जाने के लिए उन्हें रोजाना 70 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था। इसके अलावा, वे अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर भी काम करते थे। उनके माता-पिता स्कूल ड्रॉपआउट थे और पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। बावजूद इसके, उन्होंने कभी भी अपने बेटे की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी।
हिमांशु गुप्ता ने साल 2018 में पहली बार UPSC परीक्षा क्लियर की और भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) में चयनित हुए। इसके बाद 2019 में उन्होंने फिर से परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए चयनित हुए। अपने तीसरे प्रयास में, 2020 में, वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हो गए।
‘Humans of Bombay’ फेसबुक पेज पर हिमांशु गुप्ता ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मैं स्कूल जाने से पहले और बाद में पिता के साथ काम करता था। स्कूल 35 किलोमीटर दूर था, आना-जाना 70 किलोमीटर होता था। मैं अपने सहपाठियों के साथ एक वैन में जाता था। जब भी मेरे सहपाठी हमारे चाय के ठेले के पास से गुजरते, मैं छिप जाता। लेकिन एक बार किसी ने मुझे देख लिया और मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। मुझे ‘चायवाला’ कहा जाने लगा। लेकिन उस ओर ध्यान देने के बजाय, मैंने पढ़ाई पर ध्यान लगाया और जब भी समय मिला, पापा की मदद की। हम सब मिलकर अपना घर चलाने के लिए रोजाना 400 रुपये कमा लेते थे।”
हिमांशु ने कहा, “मेरे सपने बड़े थे। मैं एक शहर में रहने और अपने और अपने परिवार के लिए एक बेहतर जीवन बनाने का सपना देखता था। पापा अक्सर कहते थे, ‘सपने सच करने हैं तो पढ़ाई करो!’ तो मैंने यही किया। मुझे पता था कि अगर मैं कड़ी मेहनत से पढ़ूंगा, तो मुझे एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल जाएगा। लेकिन मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी, इसलिए मैं अंग्रेजी मूवी डीवीडी खरीदता था और उन्हें सीखने के लिए देखता था।”