जब जीवन में परेशानी आए और जीवनसाथी भी कमजोर पर जाए तो अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी मुसीबतों के आगे अपने घुटने तक देता हैं, तो कुछ इसके विपरीत होते हैं जो अपने बुलंद हौसलें से समाज में अपनी एक नई पहचान बना मिसाल बन जाते है। ऐसी एक प्रेणादायक कहानी हैं कुरुक्षेत्र की 12वीं पास 52 वर्षीय आशु गोयल की।
जिनके सामने भी बीमार पति की परेशनियों ने उन्हें चारो और से घेर लिया था, ऐसे में उन्होंने न सिर्फ हालातों का सामना किया बल्कि बकरी और भेड़ के दूध से स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार कर बाजार में उतारे, जिसे लोगों ने न सिर्फ अपने देश में पसंद किया बल्कि विदेशों में भी इस उत्पाद का लोगों में क्रेज बढ़ गया। अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है, जिससे वे दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनने का काम कर रही हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए आयुर्वेदिक उत्पाद देश ही नहीं बल्कि जापान, कनाडा और यूके में भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
अपने बुलंद जोश व जुनून के चलते मात्र 10 हजार से शुरू किए गए स्वरोजगार को उद्योग तक पहुंचाने में भले कई चुनौतियां सामने आई, मगर आज जब स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग बढ़ी तो 15 महिलाओं को साथ जोड़ उत्पादों की संख्या भी बढ़ाई और महिलाओं को भी रोजगार देने का काम किया।
आशु गोयल का कहना है कि पत्ती के बीमार होने पर परिवार को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। पति के इलाज में रुपयों की दिक्कत हुई तो कुछ करने की ठानी। मायके के परिवार में सब आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, जिसके चलते छह साल की उम्र से दादा की आयुर्वेदिक दुकान पर जाती थी, वहां से काफी कुछ सीखने को मिला।
जब पति बीमार हुए और परिवार के सामने दिक्कत आई तो स्वयं आयुर्वेद से लोगों के लिए कई स्वास्थ्य वर्धक उत्पाद घर पर बनाने शुरू किए, जिनमें गदी, बकरी, ऊंट, भेड़ और गाय के दूध का इस्तेमाल किया जाता है। लोगों ने इन उत्पादों को इतना पसंद किया कि अब विदेशों तक उत्पादों की मांग बढ़ी हुई हैं, जिसके चलते अब उद्योग भी शुरू किया गया है।