“डीजे बाजे या ना बाजे पर हुक्के बाजे यारों का…” ये कहावत हरियाणा की संस्कृति को बखूबी दर्शाती है। यहां हुक्के को सिर्फ एक धूम्रपान का साधन नहीं, बल्कि शान और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।
हरियाणा के हर घर में हुक्का आसानी से देखा जा सकता है। लोग इसे पूजनीय मानते हैं और कहा जाता है कि बड़े-बड़े फैसले और मुद्दे बुजुर्गों द्वारा हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच सुलझाए जाते हैं।
क्या अप जानते है कि हरियाणा की शान और सबसे बड़ा हुक्का हरियाणा के किस जिले में रखा है। चलिए बताते है की कहा है हरियाणा की ये धरोहर?
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले की जाट धर्मशाला में मौजूद है यह हुक्का अपनी विशालता और भव्यता के लिए जाना जाता है।इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है ।
हुक्के को आपसी भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। लोग एक साथ बैठकर हुक्का पीते हुए बातचीत करते हैं, जो उनके संबंधों को मजबूत बनाता है।
बड़ी-बड़ी पंचायतों और चौपालों में भी हुक्के का विशेष महत्व होता है। पंचायत शुरू होने से पहले हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुनाई देती है।
कहा जाता है कि बड़ी-बड़ी पंचायतों में हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच ही बड़े-बड़े मुद्दों को सुलझाया जाता है।
कुरुक्षेत्र के जाट धर्मशाला में मौजूद हुक्के की खासियत यह है कि इसकी चिलम इतनी बड़ी है कि एक बार में आधा किलो से भी ज्यादा तंबाकू डाला जा सकता है। कम से कम 8 से 10 उपलों की आग से ही इस हुक्के की चिलम को जलाया जा सकता है।
हरियाणा में हुक्के का धूम्रपान सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है। यह भाईचारे, आपसी संबंधों और बड़े फैसलों को सुलझाने मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।