हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने करनाल स्थित एस्टेट ऑफिस में पंजीकृत वसीयतों के सत्यापन की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं और पक्षपातपूर्ण आचरण को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने सहायक जिला अटॉर्नी श्री अवतार सिंह सैनी की भूमिका को असंगत और जवाबदेही से परे पाया है।
आयोग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अनियमितताओं के संबंध में जांच से यह स्पष्ट हुआ कि सत्यापन प्रक्रिया में एकरूपता का पालन नहीं किया गया, बल्कि चुनिंदा आवेदकों को लक्षित कर उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान किया गया।
रिकॉर्ड की समीक्षा में यह भी पाया गया कि अधिकांश फाइलों में की गई टिप्पणियां लगभग एक जैसी थीं और यह कहना कठिन है कि वास्तव में सत्यापन की प्रक्रिया संपन्न हुई थी या नहीं।
आयोग का मानना है कि यह मामला केवल किसी एक कर्मचारी की लापरवाही का नहीं, बल्कि एक संगठित और योजनाबद्ध उत्पीड़न को दर्शाता है, जिसमें सहायकों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
सहायक जिला अटॉर्नी द्वारा अपनी भूमिका से बचने के लिए दिए गए विभिन्न तर्कों को आयोग ने सिरे से खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि भले ही उनकी सिफारिशें निर्णायक न हों, परंतु इससे वे अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते।
आयोग ने नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे सहायक जिला अटॉर्नी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करें और आदेश प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर इस संबंध में की गई कार्रवाई की सूचना आयोग को दें।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(एच) के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए अपीलकर्ता को लगातार परेशान किए जाने को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए शिकायतकर्ता श्री सतीश कुमार अग्रवाल को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मुआवजा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अपने फंड से प्रदान करेगा और बाद में यह राशि दोषी अधिकारियों से वसूल की जाएगी।