हरियाणा के सरस्वती हेरिटेज बोर्ड ने सरस्वती नदी में 12 महीने पानी बहाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने बताया कि इस योजना के तहत सतलुज नदी का पानी हिमाचल प्रदेश के सोलन, बिलासपुर और नाहन से होते हुए टौंस नदी के माध्यम से सरस्वती में लाया जाएगा।
वर्चुअल बैठक में हुई चर्चा
धूमन सिंह ने हरियाणा स्पेस सेंटर (HARSEC) के निदेशक सुल्तान सिंह और सेंटर वाटर कमीशन के उपनिदेशक पी. दोरजे ज्यांबा के साथ वर्चुअल मीटिंग कर इस प्रोजेक्ट पर चर्चा की।
दोनों अधिकारियों ने हिमाचल की नदियों पर पहले भी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, जिससे इस योजना को तकनीकी रूप से मज़बूती मिलेगी।
परियोजना के मुख्य बिंदु:
हिमाचल की नदियों से पानी लाकर हरियाणा की शिवालिक रेंज के नजदीक आदि बद्री क्षेत्र से सरस्वती में छोड़ा जाएगा।
सतलुज का पानी सोलन के ऊपर से एक चैनल बनाकर, सोम नदी के रास्ते सरस्वती में डाला जाएगा।
आदिबद्री क्षेत्र में डैम और बैराज निर्माण का कार्य तेज़ी से चल रहा है।
छिलौर गांव, बिलासपुर (हिमाचल) में 350 एकड़ में एक बड़ी झील बनाई जा रही है।
सरस्वती के आसपास की नदियों और बंद पड़े नालों को भी पुनर्जीवित किया गया है।
अब तक की उपलब्धियां:
पिछले तीन वर्षों में बरसात के मौसम में लगभग 400 किलोमीटर क्षेत्र में सरस्वती नदी में पानी बहाया जा चुका है।
पहले चरण में नदी को “पानी बहने योग्य” बनाया गया, अब लक्ष्य है कि सालभर पानी बहता रहे।
आगे की योजना:
जल्द ही इस प्रोजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को सौंपी जाएगी।
28 अप्रैल को धूमन सिंह जयपुर के बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में ISRO और रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे।
इस मीटिंग में प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरविंद कौशिक, एक्सियन नवतेज सिंह और एक्सियन 3 भट्ट भी शामिल रहेंगे।
निष्कर्ष:
सरस्वती बोर्ड के प्रयासों से न केवल सरस्वती नदी का ऐतिहासिक पुनर्जीवन हो रहा है, बल्कि हरियाणा और हिमाचल की पारिस्थितिकी में भी सकारात्मक बदलाव की संभावना बढ़ रही है। यह प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में ऐतिहासिक महत्व रखने वाला साबित हो सकता है।